बेटियां तो होती है पराया धन, बचपन से ये सुन सुन कर थक गया था मेरा मन.
ससुराल जाके पता चला ये घर भी नहीं था मेरा अपना, और टूट गया मेरा वो एक सपना.
कौन हु मैं? क्या है मेरा वजूद?क्या आपके पास है मेरे इन सवालो का जवाब मौजूद?
"अबला नारी" - नहीं है पह्चान हमारी. अबला वोह है जो खुद बलवान बन्ने के लिए हमे अबला बुलाते है;
और फिर हमे न जाने क्या क्या सुनते है.
मत भूलो वो नारी ही थी जो यमराज से लड़कर अपने पति को वापस ले आई थी ;
और वह मीरा जिसकी भक्ति निराली थी.
जीवन के हर कदम पे नारी अलग अलग रूप मैं साथ चली है ;
कभी माँ तो कभी प्रेयसी ;
कभी पत्नी तो कभी बहन ;
कभी बेटी बनके तो कभी दोस्त ..
कभी पत्नी तो कभी बहन ;
कभी बेटी बनके तो कभी दोस्त ..
कई दुखो को सहने की है क्षमता ; बदले मैं देती है सिर्फ प्यार और ममता.
जन्मदाता है यह इनकी तरक्की न सही तबाही तो न दो.
P.S: This poem has been published in Kaleidoscope ezine's May 2012 issue.